मजदूरों की अपनी मजबूरी है और किसी भी तरह घर पहुंचने की चाह भी। इसके लिये कई सौ किलोमीटर की दूरी वह पैदल चलकर पार करने की जुगत में लगे हैं। ऐसा लाकडाउन के चलते सरकारी व्यवस्था ठप होने के कारण हो रहा है। अब इन अप्रवासी लोगों को परिवहन मुहैय्या कराने के नाम पर भी यूपी में राजनीति चरम पर पहुंच गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक हजार बसों उपलब्ध कराने की पेशकश करते हुए योगी सरकार से परमीशन मांगी तो सरकार के नुमाइदों ने बता दिया कि सुबह नौ बजे तक सभी बसें, कागजात व चालकों समेत लखनऊ भेज दें। कांग्रेस ने कहा कि अप्रवासी तो गाजियाबाद व नोएडा में हैं, उल्टे बांस बरेली यानी लखनऊ भेजना कहां तक उचित है। इस पर अगला पत्ता फेंकते हुए सरकार ने पांच पांच सौ बसे नोएडा व गाजियाबाद डीएम को उपलब्ध करा देने के लिये कांग्रेस को कहा है। समय दोपहर बारह बजे तक का रखा है।
दोनों की इस कागजी व जुबानी जंग के बीच मजदूर अपनी बेहाली पर रो रहा है। वह कैसे भी अपने घर पहुंचाना चाह रहा है। बीते दिवस मेरठ से भी बिहार के लिये ट्रेन रवाना की गई। करीब बीस बोगी में सोलह सौ मजदूरों को भर कर रवाना किया गया।